उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में दीवाली की रात एक हृदय विदारक घटना ने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया। यह हादसा 2 नवंबर 2024 की रात को हुआ जब लोग दीवाली के जश्न में डूबे हुए थे। कानपुर के बिधनू इलाके में 10 साल का एक बच्चा, अपनी मासूमियत में, एक जानलेवा खेल का शिकार हो गया।
कैसे हुआ हादसा?
बच्चा दीवाली की आतिशबाजी में मग्न था और उसने एक सुतली बम के ऊपर कांच का गिलास रख दिया। यह घटना बच्चों के मन में जिज्ञासा और नासमझी का परिणाम थी, क्योंकि वह सुतली बम के धमाके को एक अलग अंदाज में देखने की कोशिश कर रहा था। जैसे ही बम में आग लगाई गई और धमाका हुआ, गिलास के टुकड़े बिखर गए और बेहद तेज़ी से चारों ओर फैल गए। बच्चे को इस धमाके से गंभीर चोटें आईं, खासतौर पर कांच के धारदार टुकड़े उसकी छाती और चेहरे पर जा लगे।
तुरंत अस्पताल पहुंचाने की कोशिश
घटना के बाद परिवार वालों ने बच्चे को तुरंत नजदीकी अस्पताल ले जाया, लेकिन डॉक्टरों के तमाम प्रयासों के बावजूद उसकी जान नहीं बच सकी। बच्चे की मौत ने पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ा दी, और दीवाली की खुशियां मातम में बदल गईं।
माता-पिता का दर्द और समाज की प्रतिक्रिया
बच्चे की मौत के बाद परिवार सदमे में है। इस घटना ने आस-पास के सभी लोगों को झकझोर कर रख दिया है। जो त्योहार उनके लिए हर्ष और उल्लास लेकर आया था, वह मातम में बदल गया। इस दुखद घटना के बाद स्थानीय लोगों और प्रशासन ने भी गहरा दुःख व्यक्त किया।
ऐसी घटनाओं से क्या सीखें?
इस हादसे ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि दीवाली जैसे त्योहारों पर बच्चों को आतिशबाजी से जुड़े खतरों से कैसे सुरक्षित रखा जाए। यह घटना एक चेतावनी है कि बच्चों को पटाखों और अन्य आतिशबाजी के खतरों के प्रति जागरूक बनाना अत्यंत आवश्यक है।
- सुरक्षा का महत्व: बच्चों को बिना किसी निगरानी के आतिशबाजी करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
- जानलेवा हो सकते हैं छोटे प्रयोग: किसी भी तरह के बम के ऊपर गिलास, बोतल, या अन्य वस्तुओं का प्रयोग बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
पुलिस और प्रशासन की प्रतिक्रिया
इस हादसे के बाद पुलिस और प्रशासन ने आम जनता को जागरूक करने के लिए कुछ सुझाव दिए हैं। पुलिस ने आगाह किया है कि इस तरह के हादसों से बचने के लिए सभी को सतर्क रहना चाहिए और किसी भी प्रकार की आतिशबाजी के समय अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए।